बुधवार, 24 अगस्त 2011

उलज्हते.बिखरते,सम्हलते,मचलते,
भावों के ख्वाबो मे जलते ,
मन की मदिरा के दीप तले,
जीवन साँसों के ख्वाबो मे,
कोई तुमसा देख न पाए,
कोई तुमसा सोच न पाए!
अक्सर साँसों कीअंगडाई मे,
बिरहा की रुसवाई मे,
आसो की गहराई मे,
अपनी ही परछाई मे,
जब राग रंग फीके बन बैठे,
जीवन रस रीते बन बैठे,
अपनी आहट रास न आती ,
उन ख्वाबो को नींद न आती,
जो बुने हुए उनींदे चक्षुओ मे,
तो याद आता फिर एक ख़याल,
तुमारा कभी न डिगने वाला,
खूबसूरत जी का जंजाल 
बन पत्थर सहना हर वार ,
और बन जाना युगों को समर्पित ,
एक मूर्ति,एक मिसाल,
ढूंढनी न पड़ी मुझे कोई मशाल ,
क्योकि युग था समाहित संवेदना मे
मेरे गुरूर के उद्वीगता मे.
साँसों को था हाथ तुम्हारा ,
भावो को आधार तुम्हारा,
सृष्टि की संवेदना ,और तुम्हारा अपनापन.
मै मीलों चल आया प्रिये.
किन्तु
तुम
कहा हो अब ना सताओ ,जीवन रस के रंग मुझे अब भाते नहीं,
व्यग्रता के नाते जाते नहीं,
अश्रु भी अब आते नहीं,
मेरे समंदर मे समाने का समय अब आ गया है,
अस्तित्व कोबताने का समय अब आ गया है,
मै व्यग्र हू कि मुस्कुराने  का समय अब आ गया है.

-----भारती














































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रविवार, 17 अप्रैल 2011

8-KAVITA

खंड-खंड वह चिर्विमूढ़"
खंडित होता जाता था,
हाहाकार दिशाओं से फिर लौट लौट आ जाता था,
सन्नाटे फिर घेर रहे थे, वह निः श्वाश श्वाशो सा था,
उसने देखा फिर एक बार,
वह था या ना सा था!
----भारती






बुधवार, 13 अप्रैल 2011

7-Kavita

चलती रहे ये जिंदगी,पिघलती रहे ये जिंदगी,
वक्त की बूंदों सी बरसती,
बदलती,सुलगती,उलज्हती,बिखरती,
आंधियो में दरख्तों सी,
लहकती,दहकती,
विश्वास की नाज़ुक सी कली,
 बहारों की जुबां सी जिंदगी,
चलती रहे ये जिंदगी,पिघलती रहे ये ज़िंदगी!

उसने दिए कुछ ज़ख्म,
जिसने दिये है ख्वाब कुछ,
उसको मसीहा नाम देके,
एक अनकहा अहसास लेके,
चल पड़े अपनी डगर पर,
कभी डगमग,कभी संभलकर,
साँसों मे एक नाम लेकर,
दिल पे नया इल्जाम लेकर,
उस भंवर में डूबने,उतरने,
निकल पड़ी यह ज़िदगी,
चलती रहे यह ज़िंदगी,पिघलती रहे ये ज़िंदगी.!
----भारती












बुधवार, 6 अप्रैल 2011

6-KAVITA

श्वासों के दीप मे
आस का उजाला होने दो,
रोको न कोई मुक्त चक्षु,
आज उन्हें खो लेने दो
भोर का नाजुक अन्धेरा,
ले रहा अंगडाई सूरज,
आने लगी परछाई नभ पर,
जीवन उमग परिहास भर कर,
श्रष्टि की वेदना का समागम,
न हो पाए इस समय,
व्योम को उमंगो की छाव में,
खो लेने दो,जी लेने दो,
आज वेदना हो लेने दो,
चक्षुओ से नदी का बहाव रोको नहीं,
उसको समंदर हो लेने दो,
वादिओ में खो लेंने  दो,
पाने को कुछ अपनी साँसे,
खुद का खुद को हो लेने दो,
समाया हे जो साँसों में तूफा,
भोर की किरणों में हो लेने दो,
श्वासों के दीप में आस का उजाला हो लेने दो.
----भारती









5-KAVITA

नहीं मुमकिन उसे,शब्दों में बाँध पाना,
नहीं मुमकिन उसे ख्वाबों में जान पाना,
तूफ़ान है वो समंदर है,
अहसास की आंधी का किनारा,
वो जिंदगी की रेत का गलीचा,
जिसमे लिखा है नाम मेरा,
तूफा है जो ले जाता है
कुछ नाम भी साथ अपने,
एक तूफा जो ले जाएगा,
लहरों पे गिनते हुए अहसास कुछ,
मेरे अस्तित्व की परिभाषा,
अहसास भर है किसी का,
किन्तु जो मेरा है,वो
 कहा अपना है,
यह अहसास ही तो
 आलम का अजूबा है.
---भारती





रविवार, 3 अप्रैल 2011

4-kavita

कैसे भूल जाए कि इंसान है हम,
बुद्ध नहीं की समा जाए उस बोध में
कैसे भूल जाये कि इंसान है हम,
राम नहीं कि सीता को न देख पाए उम्र भर,
भूलने नहीं देता आजादी का अहसास हमें
हम कान्हा नहीं कि बांसुरी में समाये,
और श्रष्टि को अपने सुरों से नचाये,
हम तो खुदको ही ढूँढने जा रहे है,
कुछ हसरतों को साधने जा रहे है,
एक इंसान मिल जाए तो आइना समझ लेंगे,
हम तो खुद को ही बांटने जा रहे है.
-----भारती









3-astitva

अस्तित्व के अहसास की आकांक्षा'
फुर्सतो  की fitratoan के फासले,
जानने को ज़िन्दगी की हरकती जुनूनी,
जीने की आरज़ू के रूबरू कुछ ख्वाब,
देखने की हसरतें समंदर का चेहरा,
या की फिर थाह उस आशमां  की,
हम ,खुद मे ही समाये हुए थे,
जो हमारी जुदा आवाज़ का अंदाज़ है,
कैसे खुदाया देख पाते उस जहा को,
ज़हा की बूँद का पैगाम हम खुद ही थे.
---भारती








2-kavita

वोह अदम्य वोह अगोचर,
वोह अखंडित साहसी,
वोह विश्वास का किनारा,
वोह आस्था का सहारा,
वो पतवार की नाव सी,
एक साहसी हुंकार सी,
एक बूँद आस सी,
वोह धड़कन और श्वाश सी,
वोह ममता का किनारा,
वोह एकलव्य का सहारा,
गिरता,पड़ता, पर सम्हलता
चला जा रहा जीवन पथ पर'
वो एक ज्योति,एक सांस सी,
वो सपनो का सहारा, वो कोशिश का किनारा
वो जीवन की एक मदमस्त राग सी,
वो अहम् ब्रहामास्मी,वो मेरी हर सांस सी.

---भारती



1-kavita

वह एक सपना है,
आसमां उसका अपना है,
मै ज़मीं हूँ,
हकीकत  मे पली हूँ
मिल पाए ज़मी से आसमां
मुमकिन नहीं,
कोई सपना आसमां
 हो जाए  मुमकिन नहीं !

----भारती