रविवार, 17 अप्रैल 2011

8-KAVITA

खंड-खंड वह चिर्विमूढ़"
खंडित होता जाता था,
हाहाकार दिशाओं से फिर लौट लौट आ जाता था,
सन्नाटे फिर घेर रहे थे, वह निः श्वाश श्वाशो सा था,
उसने देखा फिर एक बार,
वह था या ना सा था!
----भारती