शनिवार, 15 दिसंबर 2012

kuch to kahna tha.

कुछतो  कहना था ,कुछ तो  कहना है ,
सुनाते हुए बीत जायेंगी सदिया ,
 ना ख़तम हो पायेंगे तुम्हे बताने के किस्से,
बहुत सारी शिकायत,कुछ हँसी ,कुछ इनायत,
कुछ यादो के किस्से,कुछ बातो के हिस्से,
कुछ अनजाने जज्बूतो के हिस्से l
शब्दों का गणित खो बैठा वजूद,
अल्फाजो की निगाह चुप से रही ,
 खामोशी गुनगुनाने लगी।
पल वे आये और चले भी गए,
यादे ,लम्हे,खुशबू ,बाते ,
हसी की खनक,निगाहों की झनक् ,
तैरती रही हवाओं मे ,
पकड़ न पाए अलफ़ाज़
हम फिर गिनने लगे
यह तो कहना था ,वह तो कहना था।


अमृता