सोमवार, 3 सितंबर 2012


उज्जवल ,स्वर्णिम,मुक्त्त,किरण
जब जीवन की अंगडाई लेती है
नन्ही किरणों के धवल पंख,
जब रंगों के घेरे मैं बहते है,
मैं भी कुछ रंग चुराती हूँ,फिर,
जीवनपथ पर-
खो जाती हूँ।?
बार-बार
ये रंग मुझे -
मेरी परिभाषा कहते हैं ,अपने से लगने लगते हैं.

भारती